वृंदावन: सावन का पवित्र महीना चल रहा है और ऐसे में खान-पान को लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में उठते हैं। सबसे आम प्रश्नों में से एक है – क्या सावन में लहसुन और प्याज का सेवन करना पाप है? इस सवाल पर वृन्दावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने इस भ्रम को स्पष्ट रूप से दूर किया है।
आजकल, प्रेमानंद महाराज जी के सरल और स्पष्ट प्रवचन लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, जिसके चलते उनके यूट्यूब चैनल पर अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राधा रानी के अनन्य भक्त, महाराज जी अपने सत्संग के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। उनके सत्संग में विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, अभिनेता आशुतोष राणा और RSS प्रमुख मोहन भागवत जैसी कई प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल हो चुकी हैं।
सावन में प्याज और लहसुन खाना पाप है या नहीं?
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे सावन के महीने में प्याज और लहसुन के सेवन को लेकर एक भक्त के सवाल का जवाब देते नजर आ रहे हैं। महाराज जी ने इस विषय पर सरल और स्पष्ट भाषा में अपनी बात रखी, जो लोगों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर रही है।
क्या कहा महाराज जी ने?
महाराज जी ने बताया कि प्याज और लहसुन की उत्पत्ति भूमि से होती है, जैसे आलू या अन्य सब्जियां। लेकिन इनका सेवन तमोगुण को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति के भीतर क्रोध और काम जैसी भावनाएं जागृत होती हैं। ये भावनाएं भक्ति मार्ग में बाधक मानी जाती हैं।
“प्याज और लहसुन मांस के समान नहीं हैं, लेकिन भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए इनका त्याग आवश्यक है,” – प्रेमानंद महाराज
क्या यह पाप है?
महाराज जी ने स्पष्ट किया कि प्याज और लहसुन खाना सामान्य जीवन जीने वालों के लिए पाप नहीं है, लेकिन जो लोग भगवत भक्ति, साधना, या देव सेवा में लगे हैं, उनके लिए यह वर्जित है। सात्विक भोजन ही मन और आत्मा की शुद्धता बनाए रखता है।
भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए क्यों है वर्जित?
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति भक्ति मार्ग पर चल रहा है, उसके लिए मन की शांति और सात्विकता सर्वोपरि है। भक्ति मार्ग में क्रोध और काम जैसे विकारों के लिए कोई स्थान नहीं है। चूंकि प्याज और लहसुन इन तामसिक वृत्तियों को उत्तेजित करते हैं, इसलिए आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास कर रहे भक्तों को इन्हें खाने से मना किया जाता है।
मांस से तुलना करना बिल्कुल गलत
महाराज जी ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्याज और लहसुन की तुलना मांस से करना एक बड़ी भूल है। मांस किसी जीव की हत्या करके प्राप्त होता है, जो कि हिंसा है। जबकि प्याज और लहसुन वनस्पति हैं। इसलिए, इन दोनों को एक ही तराजू में तौलना अनुचित है।
सावन जैसे पवित्र महीने में सात्विकता और संयम का पालन करना आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है। प्रेमानंद महाराज का संदेश यही है कि भक्ति मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को तमोगुणी भोजन से बचना चाहिए, ताकि मन शांत और साधना में स्थिर रह सके।