चंद्रयान-3, भारत का चाँद मिशन, सफलतापूर्वक शुरू होने की उम्मीद में है। हर कोई चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद करता है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) चंद्रयान-3 से संबंधित हर हाल की जानकारी दे रही है। भारत के लिए ये मिशन बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे पहले दो मिशन असफल रहे हैं। भारत को इससे बड़ा नुकसान हुआ। लेकिन आप जानते हैं कि इसरो ने 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले एक और चंद्रयान भेजा था, जिसे जानबूझकर नष्ट कर दिया गया था।
ISRO ने चंद्रयान-1 को किया था नष्ट
India Today ने बताया कि 2008 में इसरो ने चन्द्रमा पर एक अंतरिक्ष यान को जानबूझकर नष्ट कर दिया था। 22 अक्टूबर 2008 को, इसरो ने अपना पहला लूनर मिशन शुरू किया। इसके साथ ही इसरो ने विश्व को बताया कि भारत भी पृथ्वी से बाहर किसी अन्य खगोलीय पिंड पर मिशन कर सकता है। तब तक चन्द्रमा पर मिशन भेजने में केवल चार देश ही सफल रहे थे। वे चार देश थे: अमेरिका, रूस, यूरोप और जापान। भारत पांचवां था। चंद्रयान चन्द्रमा की सतह पर पानी खोजने में सफल रहा, भले ही इसरो ने अपने यान को जानबूझकर नष्ट कर दिया था।
17 नवंबर 2008 को किया था नष्ट
अंतरिक्ष यान के अंदर 32 किलोग्राम का एक चिप छिपा था, जिसका लक्ष्य यान को दुर्घटनाग्रस्त करना था। इसे इसरो ने मून इम्पैक्ट प्रोब कहा। 17 नवंबर 2008 की रात को लगभग 8 बजकर 6 मिनट पर इसरो के वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट को नष्ट करने का निर्णय लिया। कुछ घंटों बाद, शांतिपूर्ण आकाश में एक भयानक धमाका सुनाई दिया। मून इम्पैक्ट प्रोब ने अपना काम करीब 100 किमी ऊपर चन्द्रमा की सतह से किया था।
चंद्रयान-2 हुआ था असफल
2019 में, इसरो ने चंद्रयान-2 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास किया था। चंद्रयान में सॉफ्ट लैंडिंग से पहले ही कुछ तकनीकी समस्याएं हुईं। इसके परिणामस्वरूप विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया। इसरो प्रमुख ने बताया कि विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर सही से उतरने में चार साल पहले ये तीन महत्वपूर्ण गलती हुई थीं, जो चंद्रयान-2 मिशन के दौरान हुई थीं। इस बार उन सभी कमियों को सुधार दिया गया है। इनमें पहली सबसे बड़ी चुनौती थी कि विक्रम लैंडर की स्पीड को कम करने के लिए लगाए गए पांच इंजनों ने आवश्यकता से अधिक थ्रस्ट उत्पन्न किया, जिससे लैंडर स्थिर नहीं हो सका। इसकी वजह से वह चांद की तस्वीरें भी नहीं ले सका। अधिक थ्रस्ट की वजह से क्राफ्ट तेजी से मुड़ने लगा और अपने लक्ष्य से भटक गया। इसलिए, विक्रम लैंडर को समय रहते नियंत्रित नहीं किया जा सका, इसलिए वह चांद की सतह से टकराकर टूट गया।
S. Somnath ने बताया कि विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने के लिए उपयुक्त स्थान खोज रहा था, जो चंद्रयान-2 के दौरान हुई तीसरी भूल थी। लैंडर चांद के सतह के बहुत करीब आ गया था, लेकिन उसे लैंडिंग के लिए अनुकूल जगह नहीं मिली। लैंडर चंद्रयान-2 का लैंडिंग स्पॉट सिर्फ 500 x 500 मीटर के क्षेत्रफल तक था, इसलिए जब वह अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, तो वह चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग कर गया, जिससे उसका संपर्क इसरो से टूट गया।