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राजस्थान में भले मौजूदा सियासी उठापटक के आज 22 दिन हो गए है. लेकिन अब तक मरुधरा का सियासी दंगल थमा नहीं है. शह और मात के इस खेल में सियासी लड़ाई के साथ-साथ अदालती जंग भी लड़ी जा रही है. इसी कड़ी में राजस्थान कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
शुक्रवार को कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्थगित की गई थी. महेश जोशी ने कहा है कि नोटिस देना स्पीकर का विशेषाधिकार है और इसमें यह पूरे तरीके से स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में अदालत के हस्तक्षेप का मामला है.
राजस्थान कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के पास दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (ए) की वैधता तय करने का कोई अधिकार नहीं है. पार्टी की आलोचना अयोग्यता के लिए एक आधार है जो स्पीकर को तय करना है. लोकतांत्रिक असहमति या फ्लोर क्रॉसिंग या दलबदल के लिए विधायकों के आचरण का फैसला स्पीकर को करना होता है और उच्च न्यायालय द्वारा तथ्य खोजने पर रोक लगाना अनुचित है.
गौरतलब है कि सचिन पायलट और उनके खेमे के समर्थक विधायकों की स्पीकर के नोटिस को चुनौती देने वाले याचिका पर हाई कोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी के फैसले यथास्थिति बरक़रार रखने का फैसला दिया था. मतलब की कोर्ट ने स्पीकर से कहा था कि इस मामले में वे बागी विधायकों पर कोई करवाई न करें. जिसे सचिन पायलट खेमे के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा गया था.
हाई कोर्ट के इस फैसले पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी ऐतराज जताया था और इसको लेकर सवाल खड़ा किया था. उन्होंने कहा कि किसी विधायक को अयोग्य करार देने का अधिकार सिर्फ स्पीकर को ही है. जब तक फैसला ना हो जाए तब तक कोई इसमें दखल नहीं दे सकता है. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी(Rajasthan Assembly Speaker CP Joshi) ने यह भी कहा कि हम संसदीय लोकतंत्र का पालन कर रहे हैं. लिहाजा अदालत हमारे कामकाज में दखल नहीं दे सकती है.
इससे पहले शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अपने कैंप के विधायकों को 3 स्पेशल चार्टर प्लेन के जरिये जैसलमेर भेज दिया. बताया जा रहा है कि संभावित रूप से गहलोत कैंप के इन विधायकों को जैसलमेर के सूर्यागढ़ और मैरिएट रिसोर्ट में ठहराया जायेगा. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने सरकार के समर्थन में लगातार 102 विधायकों के समर्थन के दावे करते रहे हैं. अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार को 14 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है. ऐसे में बताया जा रहा है बहुमत से महज कुछ विधायक अधिक होने की वजह से सीएम गहलोत की हालात भी उतनी मजबूत नहीं है. यही वजह है की लगातार विधायकों की खेमेबंदी की जा रही है.
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