आज दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है, जिसमें विश्व के 20 प्रमुख देशों के नेता एक साथ उपस्थित हैं। इस सम्मेलन में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी और यहां भारत की संस्कृति और विरासत का भी प्रदर्शन हो रहा है। 9 और 10 सितंबर को भारत मंडपम में हो रहे इस सम्मेलन में दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर नेता एक साथ आए हैं। इस बार का इतिहास उन तमाम बदलावों के साथ हो रहा है, जिन्होंने G20 Summit को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यहां जानिए कौन-कौन से देश हैं जो जी-20 में शामिल हैं और इसके महत्वपूर्ण पहलूओं के बारे में।
भारत की गर्मी में तपकर पहुंचे दुनिया के नेता
दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के बड़े नेता गर्मी के बावजूद इस महत्वपूर्ण सम्मेलन को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए पहुंच चुके हैं। इस समय दिल्ली में तापमान उच्चाईयों में है, लेकिन इसके बावजूद दुनिया के विभिन्न हिस्सों के नेता यहां वैश्विक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
जी-20 के पहले दिन का शेड्यूल
यहां जी-20 के पहले दिन का शेड्यूल है:
समय | कार्यक्रम |
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09:20 से 10:20 बजे | भारत मंडपम में आगमन |
10:30 से 1:30 बजे | सत्र 1 – वन अर्थ |
1:30 से 3:00 बजे | नेताओं के बीच बैठकें होंगी |
3:00 से 4:45 बजे | सत्र 2 – एक परिवार |
4:45 से 5:30 बजे | नेताओं के बीच बैठकें होंगी |
7:00 से 9:15 बजे | राष्ट्रपति द्वारा डिनर का आयोजन |
9:15 बजे के बाद | सभी नेता अपने-अपने होटलों की और प्रस्थान करेंगे |
जी-20 में शामिल हैं कौन-कौन से देश?
जी-20 में शामिल हैं 19 व्यक्तिगत देश और यूरोपीय संघ। इनमें ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसके साथ, जी-20 के सदस्य देश वैश्विक घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जी-20 समिट एक महत्वपूर्ण संगठन है जो विश्व के बड़े और उभरते हुए अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं को एक साथ लाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व अर्थव्यवस्था को सुधारना और वित्तीय मुद्दों पर सहमति प्राप्त करना है।
इस सम्मेलन के दौरान दिल्ली में विशेष सुरक्षा की ज़रूरत है। पूरे नई दिल्ली इलाके को अभेद्य किले में तब्दील किया गया है और बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, डिप्लोमैटिक एरिया में एंटी-ड्रोन राडार की भी तैनाती की गई है ताकि किसी असामान्य घटना को रोका जा सके।