दिसंबर का महीना अपने शबाब पर है और उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। रजाई से निकलने का मन नहीं करता, लेकिन फिटनेस के दीवाने अपनी ‘मॉर्निंग वॉक’ (Morning Walk) का नियम नहीं तोड़ना चाहते।

अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो घने कोहरे और बर्फीली हवाओं के बीच सुबह 5 या 6 बजे पार्क में दौड़ लगाने निकल जाते हैं, तो जरा संभल जाइए! आपकी यह अच्छी आदत इस मौसम में आपकी जान की दुश्मन बन सकती है। देश के बड़े कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) चेतावनी दे रहे हैं कि सर्दियों की अलसुबह (Early Morning) हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

आखिर ठंड में क्यों ‘फेल’ हो जाता है दिल?

डॉक्टर्स बताते हैं कि सर्दियों में तापमान गिरने से हमारी ब्लड वेसल्स (खून की नसें) सिकुड़ जाती हैं। शरीर को गर्म रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसके अलावा, ठंड में खून थोड़ा गाढ़ा (Thick) हो जाता है, जिससे क्लॉटिंग (Clotting) की संभावना बढ़ जाती है। यही कारण है कि सुबह के वक्त हार्ट अटैक के मामले सबसे ज्यादा आते हैं।

इन 5 लोगों के लिए ‘खतरे की घंटी’ है सुबह की सैर

डॉक्टर्स ने विशेष रूप से इन 5 तरह के लोगों को सख्त हिदायत दी है कि वे कड़ाके की ठंड में, खासकर सूर्योदय से पहले, वॉक पर न जाएं:

Featured

1. दिल के मरीज (Heart Patients): जिन्हें पहले कभी हार्ट अटैक आया हो, एंजियोप्लास्टी हुई हो या स्टेंट डला हो। ऐसे लोगों का दिल पहले से कमजोर होता है। ठंडी हवा सीधे छाती पर लगने से धमनियां सिकुड़ सकती हैं, जो घातक हो सकता है।

2. हाई ब्लड प्रेशर (High BP) वाले लोग: सर्दियों में बीपी स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। अगर आप हाई बीपी के मरीज हैं और ठंड में वॉक करते हैं, तो बीपी अचानक शूट-अप कर सकता है, जिससे ब्रेन हेमरेज का खतरा रहता है।

3. बुजुर्ग (60+ आयु वर्ग): उम्र बढ़ने के साथ शरीर का तापमान नियंत्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान अचानक गिरना) का खतरा रहता है। उन्हें सुबह की बजाय धूप निकलने के बाद ही बाहर निकलना चाहिए।

4. अस्थमा और सांस के मरीज: ठंडी हवा फेफड़ों की नसों को सिकोड़ देती है। अस्थमा (Asthma) या सीओपीडी (COPD) के मरीजों को सुबह वॉक करने से सांस फूलने और अस्थमा अटैक का सामना करना पड़ सकता है।

5. डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल: डायबिटीज के मरीजों का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर होता है। साथ ही अगर आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है, तो गाढ़े खून के कारण नसें ब्लॉक होने में देर नहीं लगती।

तो क्या वॉक करना छोड़ दें? (Doctor’s Advice)

नहीं, डॉक्टर्स वॉक बंद करने को नहीं कह रहे, बस समय (Timing) बदलने की सलाह दे रहे हैं।

  • धूप का इंतजार करें: सुबह 5 या 6 बजे की बजाय 8 या 9 बजे वॉक पर जाएं जब धूप निकल आए। धूप से आपको विटामिन-डी भी मिलेगा जो दिल के लिए अच्छा है।
  • इनडोर एक्सरसाइज: अगर बाहर बहुत ठंड है, तो घर के अंदर ही योग, प्राणायाम या हल्की एक्सरसाइज करें।
  • कपड़ों की लेयरिंग: अगर बाहर निकलना जरूरी है, तो छाती और कान को अच्छे से ढककर निकलें। एक मोटे जैकेट की जगह कपड़ों की 2-3 लेयर्स (Layers) पहनें, यह ज्यादा गर्माहट देती है।

सावधान रहें: अगर वॉक करते समय छाती में भारीपन, जबड़े में दर्द, या ज्यादा पसीना आए, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। याद रखें, जान है तो जहान है!