Independence Day 2023 : कल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी के अलावा CJI चन्द्रचूड़ ने न्यायपालिका के सामने आने वाली बड़ी चुनौतियों के बारे में बात की है। इस मुद्दे पर बात करते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या न्याय तक पहुंचने में आ रही है और हमें इन परेशानियों को खत्म करना है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि न्यायालयों की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि वे अपने संवैधानिक कर्तव्यों का किस तरह से जवाब दे सकते है। इस दौरान चीफ जस्टिस 15 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की 12 एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस के समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय न्यायपालिका के सामने भविष्य में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचा सके और इसमें आ रही बाधाओं को दूर कर सके।
CJI ने कही ये बात
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बात करते हुए कहा कि हमें न्याय पहुंचाने तक आ रही बाधाओं को दूर करना होगा और इसके लिए प्रक्रियात्मक ढंग से कार्रवाई करनी होगी। ऐसा करना होगा जिससे नागरिक अदालत तक पहुंच सके और उन्हें समय पर न्याय मिल सके। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए हमारे पास भविष्य के लिए रोडमैप भी तैयार है। हमारा मानना है कि भारतीय न्यायपालिका समावेशी हो जिससे कि भारत के अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच बन सके।
सुप्रीम कोर्ट का विस्तार
इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के विस्तार के बारे में भी बात की है और बताया है कि इसके अंतर्गत 27 अतिरिक्त अदालतों और 51 जजों के कमरे, 4 रजिस्ट्रार कोर्ट कमरे, 16 रजिस्ट्रार कक्ष और वकीलों और वादियों के लिए अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिए एक नई इमारत का निर्माण करना शामिल है। इस पूरी प्रक्रिया को दो चरणों में समाप्त किया जाएगा।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर
इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली में टेक्नोलॉजी बदलावों को शामिल करते हुए न्याय प्रक्रियाओं से जुड़ी अक्षमता और अस्पष्टता को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी एक बेहतर विकल्प बन सकता है। इसके साथ ही न्यायिक प्रक्रियाओं में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए टेक्नोलॉजी का भरपूर रूप से इस्तेमाल करना होगा। इसके साथ ही ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण लागू किया जा रहा है।