Earthquake In Jaipur: राजस्थान के जयपुर में शुक्रवार को 4.4 तीव्रता का भूकंप आया। शहर के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस होते ही घबराए लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी की वेबसाइट के मुताबिक, भूकंप सुबह 4:10 बजे आया। पुलिस कंट्रोल रूम ने कहा कि किसी जानमाल के नुकसान या संपत्ति के नुकसान की तत्काल कोई सूचना नहीं है।
एक घंटे के भीतर तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का पहला झटका 4:10 मिनट पर, दूसरा 4:23 पर और तीसरा 4:25. पर आया। वहीं, मणिपुर के उखरुल में सुबह 05:01 बजे 3.5 तीव्रता का भूकंप आया।
घरों से बाहर आया पूरा जयपुर
राजस्थान में आज तड़के भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को नींद से जगा दिया। भूकंप इतना तेज था कि लोगों को विस्फोटक जैसी आवाज सुनाई दी। इसके बाद डरे सहमे लोग घरों और अपार्टमेंट्स से बाहर आ गए। इस दौरान कुछ लड़के गली में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए दिखाई दिए।
फिलहाल, भूकंप से किसी के हताहत होने या किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। भूकंप के झटके कितने तेज थे, इसका अंदाजा इस सीसीटीवी वीडियो से लगाया जा सकता है, जिसमें कैमरा ऐसे हिल गया जैसे माने कोई तेज तूफान आया हो।
मौसम विभाग ने साझा की जानकारी
भूकंप सुबह में 4.09 मिनट पर आया। अधिकांश लोग सुबह में सोये हुए थे, लेकिन अचानक सभी लोगों ने कंपन महसूस किया। भूकंप का अहसास होते ही सभी अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। मौसम विभाग के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.4 आंकी गई। भूकंप का असर आसपास के कई जिलों में भी देखने को मिला। प्रारंभिक सूचना के अनुसार इस भूकंप के झटके से जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
कुछ महीनों से लगातार आ रहे भूकंप के झटके
जयपुर और राजस्थान के अन्य जिलों में इससे पहले 21 मार्च और 24 जनवरी को भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। उस दौरान भी कंपन के डर से लोग घरों से बाहर निकल आए थे। सीकर जिले में भी हाल ही भूंकप के झटकों ने डरा दिया था।
भूकंप आने की क्या है वजह?
धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है। अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है। ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है।
कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं। इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है। कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते। जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है।