Biogas : देश में ईंधन की कीमतों को देखते हुए आम आदमी के लिए कार चलाना काफी मुश्किल हो गया है। क्योंकि यात्रा के दौरान कार को अधिक पैसे की आवश्यकता होती है जिससे परिवार का आर्थिक बजट पूरी तरह से चरमरा जाता है। लेकिन अब आपके लिए एक खुशखबरी है। क्योंकि IIT दिल्ली के प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय ने एक ऐसा प्लांट बनाया है, जिससे लोगों को बड़ा फायदा होने वाला है।

यह एक वेस्ट बायोगैस प्लांट है, यानी इसे घर से बाहर फेंकी गई सब्जियों और फलों के छिलकों से बनाया जाता है। प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय के मुताबिक अब आपको अपनी कार चलाने के लिए पेट्रोल, डीजल भरने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब आप बायोगैस से अपनी कार चला सकते हैं। इससे आपका काफी पैसा बचेगा।

बेहद सस्ते में चलेगा आपका व्हीलर

उन्होंने ऐसा कहा है की आप इस किट का इस्तेमाल फोर व्हीलर के साथ-साथ टू व्हीलर के लिए भी कर सकते हैं। आखिरकार कृषि कार्य के लिए इस्तेमाल होने वाला ट्रैक्टर भी बायोगैस पर चलेगा।

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साथ ही अब तक आपने देखा होगा कि बायोगैस का इस्तेमाल सिर्फ घर में खाना बनाने के लिए होता था। लेकिन अब इसका इस्तेमाल वाहनों के लिए किया जाएगा, ऐसा प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय ने इस बार कहा है।

चार पहिया सीएनजी कार अगर बायोगैस से चलती है तो यह एक बार में 21 किलोमीटर तक चल सकती है। अगर आप गांव में रहते हैं तो बायोगैस प्लांट आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। क्‍योंकि घर में खाना बनाने, या रोशनी की समस्‍या का समाधान आप आसानी से कर सकते हैं।

बायोगैस का उत्पादन कैसे होता है?

फलों के छिलके, सड़ी पत्तेदार सब्जियों सहित आपके घर की रसोई के कचरे का उपयोग करके बायोगैस का उत्पादन किया जाता है। प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय ने आईआईटी परिसर में 200 से अधिक घरों से कचरा एकत्र किया और इसे इस संयंत्र के लिए इस्तेमाल किया। इसमें प्रति दिन 10 किलो रसोई के कचरे से 1 घन मीटर गैस बनाई जा सकती है।

हर दिन 200 किलो कचरे से 20 क्यूबिक मीटर गैस बनती है। यानी यहां रोजाना 8 किलो सीएनजी सिलेंडर भरा जा सकता है। प्रतिदिन 10 परिवारों के लिए भोजन तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा प्रतिदिन 30 यूनिट बिजली भी पैदा की जा सकती है।